मोनोक्लोनल प्रतिरक्षी (MONOCLONAL ANTIBODIES )-:
मोनोक्लोनल प्रतिरक्षी एकल विशिष्ट प्रतिरक्षी होती है, जो एक जैसी प्रतिरक्षण कोशिकाओं के बनने के कारण एक - समान होती हैं परन्तु पालीक्लोनल प्रतिरक्षी विभिन्न प्रकार की प्रतिरक्षी कोशिकाओं की बनी होती है।
Magic Bullet (जादुई गोली ) का विचार सर्वप्रथम पाल अहरलिच ने 20वीं शताब्दी के प्रारम्भ में दिया। इन्होनें कहा कि एक पदार्थ एक रोगाणु के खिलाफ विशिष्टीकृत कर बनाया जाए तथा उसके विरुध्द एक विष भेजा जाए।
पाल अहरलिच तथा एली मैटच्निकौफ को काईयिकी व चिक्त्सा में अपने कार्यों के लिए सन् 1908 में नोलेल पुरस्कार मिला तथा इन्होन सन् 1910 में सिफिलिस का प्रभावी इलाज बनाया।
प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया (Immune Response ) -:
प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया दो प्रकार की होती है -
(1) प्राथमिक प्रतिक्रिया (Primary Response )-
वह प्रतिक्रिया है, जो रोगाणु के प्रथम बार आक्रमण द्वारा होती है। इस प्रतिक्रिया के पश्चात् इसका विवरण याद्दाश्त में संचित हो जाता है।
(2) द्वितीयक प्रतिरक्षण प्रतिक्रिया ( Secondary Immune Response / Anamnestic Response ) -:
उसी रोगाणु के दोबारा आक्रमण करने पर होती है अर्थात् यह प्राथमिक से ज्यादा तोजी से होती है। इसमें स्वयं तथा बाहरी अणुओं को पहजानने की क्षमता होती है क्योकि यह अत्यधिक विशिष्ट प्रतिक्रिया है।
प्राथमिक व द्वितीयक प्रतिरक्षण प्रतिक्रिया B AND T लिम्फोसाइट द्वारा उत्पन्न होती है।
प्रतिरक्षण (Immunisation) -ः
यह एक प्रक्रिया है , जिसमें किसी व्यक्ति का प्रतिरक्षी तन्त्र किसी कारक के विरुध्द दृढ़ हो जाता है। प्रतिरक्षण तन्त्र के महत्वपूर्ण अवयव T- CELLS AND , B- CELLS व प्रतिरक्षी है, जो प्रतिरक्षण द्वारा विकसित होती है।
स्मृति B- CELLS व स्मृति T- CELLS , बाहरी अणु के विरुध्द तीव्र प्रतिक्रिया हेतु जिम्मेदार होती है।
निष्क्रिय प्रतिरक्षण में ये तत्व शरीर में सीधे डाले जाते हैं ना की शरीर स्यंव इन्हें बनाती हैं।






1 Comments
thanks sir
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