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Structure and Function of Nephron (किडनी के नेफ्रान की संरचना और कार्य )

              STRUCTURAL AND FUNCTION UNIT OF KIDNEY (NEPHRON)


STRUCTURE -:   




नेफ्रान हमारे किडनी का बेसिक यूनिट है। 
                                                        " नेफ्रान ही रूधिर के रासायनिक संघटन का वास्तविक नियंत्रण करते है। "
                      "इनको उत्सर्जन इकाई भी कहते हैं।"

संरचना - :      
                        प्रत्येक नेफ्रान में एक प्यालीनुमा संरचना होती है, जिसे बोमन संपुट ( Bowman`s Caspsule )  कहते हैं, जो कार्टेक्स क्षेत्र में स्थित होता है। बोमन संपुट से एक सूक्ष्म कुंडलित नलिका निकलती है, जो सीधी होकर वृक्क पेल्विस में प्रवेश करती है। फिर यह नलिका चौड़ी होकर एक पाश ( Loop )  बनाती है, जिसे हेनली- लूप (Loop of Henley ) कहते हैं। इसके बाद यह नलिका कार्टेक्स भाग में जाकर फिर से कुंडलित हो जाती है और तब यह एक बड़ी वाहनी में जाकर  खुलती है, जिसे संग्राहक वाहिनी ( Collecting Duct )  कहते हैं। संग्राहक वाहिनी एक सीधी नली होती है ,जिसमें कई नेफ्रान नलिकाएं खुलती  हैं, सभी संग्राहक वाहिनिया वृक्क पेल्विस में खुलती है और वृक्क पेल्विस से मूत्र वाहिनी(Ureter) निकलता है  जो मूत्राशय ( Urinary Bladder ) में खुलता है।


  
















किडनी का मुख्य कार्य है ब्लड को फिल्टर कर यूरिन( मूत्र) का निर्माण करना ।
किडनी का कार्य नेफ्रान निर्धारित करता है । अर्थात Nephron is the Functional Unit of Kidney.
हमारे शरीर में एक जोड़ी (in pair) किडनी पायी जाती है, प्रत्येक किडनी में 1 से 2 लाख नेफ्रान पाये जाते हैं।
साथ -2 कलेक्टिंग डक्ट भी पाये जाते हैं लेकिन इनकी संख्या नेफ्रान से कम होती है क्योकि कई नेफ्रान एक कलेक्टिग डक्ट से जुड़े होते हैं। 

सामान्यत: एक नेफ्रान की लम्बाई लगभग 32 से 35 MM होती है।

अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि हमें कैसे पता चलेगा कि कलेक्टिंग डक्ट की संख्या नेफ्रान से कम होती है, आइए देखते है ------ इस फीगर के माध्यम से 
एक कलेक्टिंग डक्ट से साथ कई सारे नेफ्रान
एक कलेक्टिंग डक्ट के साथ कई सारे नेफ्रान 
इसलिए नेफ्रान की अपेक्षा कलेक्टिंग डक्ट की संख्या कम होती है।One Collecting Duct with Multi Nephron so Collecting duct no. is less than Nephron.




अब हमे ए देखना है कि प्रत्येक नेफ्रान में ब्लड किस नली से प्रवेश करता है और किस नली से बाहर निकलता है।
आप इस इमेज को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि एक ही नली बोमन कैप्सूल में जाकर कई भागो में बट जाती है ऐसा क्यूं ? 
Afferent Arteriole devided into multi part known as "Glomerulus" 


  
इसका सीधा सा जवाब है ब्लड फिल्टर होने के लिए ।
आप जो दाहिने साइड(Righ Side ) नली देख रहे है जिससे ब्लड बोमन कैप्सूल में प्रवेश कर रहा है उसे Afferent Arteriole( अभिवाही धमनिका )  कहते हैं, ये नली जैसे ही बोमन कैप्सूल में प्रवेश करती है ए कई पतले - पतले भागों में बंट जाती है , 
और एक गुच्छे (Noodle)  जैसी संरचना बनाती है इस  गुच्छे को ही " ग्लोमेरुलस " के नाम से जाना जाता है। 

ऐसा इसलिए होता है ताकि यहां पर नलियों में ज्यादा दबाव उत्पन्न हो और ब्लड का फिल्ट्रेशन हो सके। 
जो ब्लड फिल्टर  हो जाते है   वो   और ज्यादा फिल्टर होने के लिए  Efferent Arteriole( अपवाही धमनिका ) के माध्यम से बोमन कैप्सूल के बाहर लूप आफ हेन्ले की ओर चले जाते है। 
छने हुए ब्लड से ही यूरिन ( मूत्र) का निर्माण होता है।






नेफ्रान क्या है ( What is Nephron) :-  

प्रत्येक वृक्क में लगभग 10 लाख लम्बी, महीन, एंव कुन्डलित नलिकाएं पायी जाती है, जिन्हें वृक्काणु ( Nephron) कहते हैं। ये वृक्कों की संरचनात्मक एंव कार्यात्मक इकाई होती हैं। इन्ही से मूत्र का निर्माण होता है।

                                        

बोमन सम्पुुट  (BOWMEN,S CAPSULE) :- 
                                                        प्रत्येक नेफ्रान में एक छोटी प्यालीनुमा संरचना होती है जिसे " Bowman`s Capsule" कहते हैं। 




 बोमन कैप्सूल की खोज   " William Bowman " ने 25 साल की उम्र में किया था , जो इंग्लैण्ड के रहने वाले थे।  ( Bowmen,s Capsule discovered by this guys, William Bowman)

ये एक हिस्टोलोजिस्ट थे, जिन्होने दो हिस्टोरिकल किताबे भी लिखी हैं - 
  1. Physiological Anatomy 
  2. Physiology of Man
बोमन कैप्सूल के मुख्य कार्य -: 
                                             
                                                        बोमन कैप्सूल ग्लोमेरुलर केशिकाओं को घेरकर , ग्लोमेरुलर कोशिकाओं से रक्त के निस्यंदन में भाग लेती हैं। 


ग्लोमेरुलस( Glomerulus ) : - 



                                                 ग्लोमेरुलस केशनलिकाओं का जाल होता है , जो अपवाही ( Efferent) तथा अभिवाही (Afferent) धमनिका से बनता है ।
Afferent Artiriole रूधिर को वृक्कों तक लाती है तथा Efferent Artiriole  वृक्कों से रूधिर को ले जाती है। 


मैल्पीघियन बाडी (Malpighian Body) :- 
                                                                           ग्लोमेरुलस (Glomerulus )तथा बोमन सम्पुट( Bowmen`s Capsule)  को संयुक्त रूप से मैल्पीघियन बाडी( Malpighian body/ Tubules)  कहते है , जो रूधिर को झानकर उसमें से बड़े विलेय को निकालता है तथा छोटे निलय को वृक्क नलिका में भेजता है। 



Glomerulus      +     Bowmen`s Capsule       =     Malpighian Body / Tubules 



 Renal Tubules ( वृक्क नलिकाएं ) :- 
                                                               यह बोमन सम्पुट से जुड़ी पतली, लम्बी नलिका होती है जिसके तीन भाग होते है.। 
इसका नाम इसके ट्यूबलाइट जैसी संरचना दिखने के कारण रखा गया है।
  1. PCT (Proximal Convulated Tubule) => इसका हिन्दी नाम समीपस्थ कुण्डलित नलिका है, यह बोमन सम्पुट के पास से निकलने वाली एक पतली नलिका होती है , इसे समीपस्थ इसलिए कहा जाता है क्योकि यह बोमन सम्पुट के बिल्कुल पास से होकर गुजरती है।
  2. DCT (  Distal Convoluted Tubule) =>   हिन्दी में इसे दूरस्थ कुण्डलित नलिका कहते है, क्योंकि यह बोमन सम्पुट से दूर जाकर कलेक्टिंग डक्ट से जाकर मिलती है । 
                                                             या 
हेनले के लूप का आखिरी भाग तथा संयुक्त नलिका को जोड़ने वाली कुण्डलित नलिका दूरस्थ नलिका होती है।


हेनले लूप ( Loop Of Henley,s) -: 

                                                              यह U  के आकार की नलिका होती है, जो PCT के नीचे निकली होती है। इसमें मूत्र का उचित सान्द्रता के अनुसार निर्माण होता है। यह मध्यांश भाग में पायी जाती है। 



             

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