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Mechanism of Working Of Nephron In Hindi ( nephron ki karyvidhi) नेफ्रान की कार्यविधि

 Mechanism of Working of Nephron In Hindi                         ( nephron ki karyvidhi)

 नेफ्रान की कार्यविधि हिन्दी में  - 

                                                      इसके पहले हमने आपको नेफ्रान की संरचना तथा उसके अंगो से परिचित करवाया है। 


Mechanism of Working of Nephron in hindi -

                                                                                    रूधिर से सभी उत्सर्जी पदार्थों को हटाना और आवश्यक पोषक तत्वों को रूधिर में बनाए रखना, ये दोनों ही कार्य वृक्कों के भीतर नेफ्रान ( Nephron) द्वारा सम्पन्न होता है। 
मूत्र निर्माण का कार्य यकृत में उपस्थित नेफ्रान द्वारा यूरिया निर्माण ( Ornithine Cycle) से आरम्भ होता है तथा मूत्र फिर वृक्कों में रूधिर को छानकर अपशिष्ट पदार्थों को हटा लिया जाता है तथा जल की कुछ मात्रा मूत्र ( Urine) रूप में शरीर से बाहर निकल जाता है। 
रूधिर से उत्सर्जी पदार्थों को मुख्यत: दो चरणों में हटाया जाता है -----
(A) Filtration  ( निस्पंदन )

(B) Reabsorption  ( पुनरावशोषण) 
निस्पंदन ( Filtration ) ->   निस्पंदन की क्रिया ग्लोमेरुलस में सम्पन्न होती है । प्रत्येक मिनट में रक्त का करीब 1 लीटर जिसमें 500 ml प्लाज्मा होती है , जो इन ग्लोमेरुलस से होकर बहता है , इसका लगभग 100 ml  ( 10% ) भाग छनता है । 

अभिवाही धमनिका (Afferent Artiriole) , जिसका व्यास( Diameter) अपवाही धमनिका ( Efferent Artiriole) से अधिक होता है, इसलिए ग्लोमेरुलस में रक्त का दबाव बढ़ जाता है, जिसके फलस्वरूप छनने की क्रिया इसी उच्च दाब पर सम्पन्न होती है। 
उच्च दाब पर छनने की इसी क्रिया को   Ultra Filtration ( परानिस्यंदन)   कहते है।
केवल रूधिर कोशिकाएं एवं प्लाविका प्रोटीन नहीं छन पाती है और रूधिर में ही रह जाती है। छने हुए द्रव को निस्यंद (filtrate) कहते हैं। निस्यंद बोमेन सम्पुट की गुहा में एकत्रित होता है जहां से यह नेफ्रान की नलिका में चला जाता है। 
इस निस्यंद के कारण रूधिर के बहुत अधिक लाभदायक पदार्थ भी छान लिए जाते है, परन्तु अगले चरण में यह लाभदायक पदार्थ पुन: रूधिर में मिल जाते है। 
इस प्रकार के चयनात्मक निस्यंदन को डाइएलिसिस (Dialysis) कहते हैं।

परानिस्यंदन ( UltraFiltration) -    अल्ट्राफिल्ट्रेशन द्वारा रूधिर की प्लाविका (Plasma) से ग्लोमेरुलस द्वारा जल, ग्लूकोज, मिनरल लवण आदि छान लिया जाता है।

 परानिस्यन्दन (Ultrafiltration) में उच्च रूधिर दाब के कारण प्लाज्मा का लगभग 20 % तरल अंश छनकर बोमन सम्पुट(Bowman,s Capsule) में चला जाता है। इस तरल को ग्लोमेरुलस निस्यंद ( Glomerular Filtrate)  कहते हैं।

पुनरावशोषण (Reabsorption)  -     बोमन सम्पुट में छनने के बाद रूधिर नेफ्रान के बाहर मौजूद केशिकाओं के जाल से होकर प्रवाहित होता है। 
नेफ्रान की विभिन्न नलिकाओं से गुजरते समय निस्यंद में उपस्थित अनेक लाभदायक तत्वों को नलिकाओं के चारों ओर मौजूद रूधिर केशिकाओं द्वारा पुऩ :  सोख( Absorb) कर रूधिर परिसंचरण में लौटा दिया जाता है। 
इसी क्रिया को पुनरावशोषण (Reabornption) कहते हैं। निस्यंद से अधिकाँश जल का अवशोषण परासरण ( Osmosis) द्वारा होता है। 
अन्य अवशोषित होने वाले लाभदायक तत्व  हैं ------     ग्लूकोज, विटामिन, हार्मोंन्स , मिनरल, लवण इत्यादि । 
हाल की खोजों से पता चला है कि 100 ml  निस्यंद से लगभग 99 ml  द्रव्य पुनरावशोषित हो जाता है। उत्सर्जी पदार्थ नेफ्रान से वृक्क पेल्विस में जाता है और वहां से मूत्र वाहिनी द्वारा मूत्राशय में जाकर एकत्र होता है, जहां से वह मूत्रमार्ग द्वारा समय- समय पर शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। इसे मूत्र (Urine)  कहा जाता है।

चयनात्मक पुनर्वशोषण ( Selective Reabsorption ) - 

                                                                                                                   चयनात्मक पुनर्वशोषण में बोमन सम्पुट से कुण्डलित नलिका में जाते समय तरल से कुछ आवश्यक पदार्थ निकलकर वापस क्रियाशील व निष्क्रिय अवशोषण द्वारा रूधिर में मिल जाते हैॆं। 
ये क्रिया चयनात्मक पुनर्वशोषण कहलाती है।

नलिकीय स्रावण ( Tubular Secrection ) -     
                                                                       नलिकाय स्रावण में पुनः रूधिर से अपशिष्ट पदार्थ मूत्र में मिलते हैं। यह शरीर का आयनिक सन्तुलन बनाए रखता है।


कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न जो किसी भी परीक्षा में पूछा जा सकता है - 

प्रश्न - औसतन प्रतिमिनट वृक्क से कितना रूधिर छनता है ? 

उत्तर- औसतन वृक्क से प्रतिमिनट 1100 - 1200 मिली रूधिर छनता है , जो हृदय के निलय द्वारा प्रतिमिनट पम्प किए गये रूधिर का 1/5वां भाग होता है।




 


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