प्रतिरक्षा तन्त्र की कोशिकाएं(CELLS OF IMMUNITY SYSTEMS)
लिम्फ कोशिकाएं प्रतिरक्षी तंत्र में मुख्य भूमिका अदा करती हैं। अस्थि मज्जा (Bone Marrow)में बनने के बाद वहीं रह जाने वाली कोशिकाएं B CELLS ( B cells का नाम Bone Marrow के पहले अक्षर B से लिया गया है) कहलाती हैं।
तथा जो कोशिकाएं अस्थि मज्जा (Bone Marrow) में बनने के बाद परिपक्व होने के लिए थाइमस (Thymus) में चली जाती हैं। उन्हें T CELLS कहा जाता हैॆ। ( T cells का नाम Thymus के पहले अक्षर T से लिया गया है )
शरीर के विभन्न प्रतिजनो के लिए विभिन्न B CELLS होती हैं ए कोशिकाएं बाहर से आयी हुई प्रतिजनों (ANTIGEN) से सबसे पहले मुकाबला करती है जिन्हे प्रतिरक्षी (ANTIBODY) कहते हैं।
इसके सक्रियता के लिए प्रतिजन द्वारा उत्तेजन आवश्यक होता है ।
ज्यों ही कोई प्रतिजन शरीर में आता है, उसके लिए विशिष्टीकृत B CELLS अनेक प्लाज्मा कोशिकाएं बनती है जो कि 2000 अणु / सेकण्ड की दर से प्रतिरक्षियों का निर्माण करती है।
हम आपको बता दे कि T CELLS प्रतिरक्षी (ANTIBODY) नहीं बनाते बल्कि B CELLS के निर्माण में सहायता करते हैं।
T CELLS दो प्रकार की होती है -
(1)KILLER T CELLS ( मारक टी कोशिका ) -
(2) HELPER T CELLS (सहायक टी कोशिका )
ये दोनो ही कोशिकाएं प्रतिरक्षी ( ANTIBODY ) कोशिकाएं के निर्माण में सहयता करती हैं।
सक्रिय प्रतिरक्षण (Active Immunity ) - इन दोनो के अलावा एक और टी कोशिका होती है सप्रेसर (Suppressor ) T कोशिका जो अपनी ही कोशिकाओं को मारने से रोकती है ।
जब प्रतिजन द्वारा आक्रमण होता है, तो B और T कोशिकाएं प्रेरित होकर असंख्य लड़ाकू कोशिकाए के अलावा स्मृति कोशिकाएं( MEMORY CELLS ) भी बनाती है। यदि दोबारा आक्रमण होता है , तो ये स्मृति कोशिकाएं पुनः लड़ाकू कोशिकाएं बनाती हैं।
स्मृति कोशिकाएं काफी लम्बे समय तक जीवित रहती है । ये प्लीहा तथा लिम्फ गांठो में संचित रहती है।
यही कारण है कि कई रोग एक बार हो जाने के बाद दोबारा नहीं होते इसी प्रक्रिया को सक्रिय प्रतिरक्षण कहते है।
निष्क्रिय प्रतिरक्षण ( Passive Immunity) - जब किसी विशेष रोग के प्रति प्रतिरक्षियो का निर्माण अत्यन्त धीमा हो, या बिल्कुल न हो तो दूसरे जीवधारी में प्रतिजन को अन्तःक्षेपित करते है। जिससे उसमें प्रतिरक्षियां उत्पन्न होत जाती है।
प्रतिरक्षीयुक्त इस सीरम को एन्टीसीरम (Antiserum) कहते हैं ।
इसका अन्तःक्षेपण रोगी व्यक्ति में किया जाता है । रोग से सुग्राही व्यक्ति को प्राप्त इस प्रकार का प्रतिरक्षण निष्क्रिय प्रतिरक्षण (Passive Immunity) कहलाता है।






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